1. नेत्रशोथ नेत्रगोलक के आवरण का एक संक्रमण है।2. दोनों प्रकार के नेत्रशोथ सामान्यतः स्वतः ही ठीक हो जाएँगे। 3. रोगजनक नेत्रशोथ के लक्षण सामान्यतः एक आँख में प्रारंभ होंगे। 4. नेत्रशोथ के तीन मुख्य प्रकार हैं: जीवाण्विकनेत्रशोथ विषाण्विकनेत्रशोथ और प्रत्यूर्जनेत्रशोथ।5. ७-नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (नेत्रशोथ या कंजेक्टिवाइटिस 6. ७-नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (नेत्रशोथ या कंजेक्टिवाइटिस 7. यदि आप रोगजनक नेत्रशोथ से पीड़ित हैं, तो आपको एक ऊपरी श्वसन पथ का संक्रमण भी हो सकता है। 8. जब नेत्रशोथ वाला एक व्यक्ति संक्रमित आँख को छूता है और फिर किसी और को छूता है तो यह संक्रमण फैलता है। 9. रोगजनक नेत्रशोथ फैलने की आपमें अधिक संभावना है यदि आप किसी के साथ करीबी संपर्क में रह रहें है जो कि पहलेसे ही संक्रमित है। 10. यदि माँ को क्लमाइडिया हो तो नवजात शिशु में नेत्रशोथ दिखाई पड़ सकता है क्योंकि यह संक्रमण प्रायः जन्म के समय बच्चे में चला जाता है।