1. कॉस्टल प्लूरा ' गर्दन के समीप वाले भाग को ‘ 2. 4. प्लूरा के रोग, प्लूरिसी, एमपायमा आदि रोग होने से खाँसी होती है। 3. कहलाता है और टर्गम के दोनों पार्श्व भाग, जो पट्टों के रूप में रहते हैं, प्लूरा ( 4. करोटी का आधार व रीड का छल्ला सामान्य था, थी, प्लूरा सामान्य था, दोनो फेफडे सामान्य थे। 5. एस्बेस्टॉसिस प्रभावित लोगों की तुलना में 50% लोग में पार्श्विका प्लूरा (फेफड़ों और छाती की दीवार के बीच 6. प्लूरा अर्थात फुफ्फुसावरण की दोनों परतों के बीच हल्के से खाली स्थान को ‘ फुफ्फुसावरणी-गुहा ' (pleural cavity) कहा जाता है।7. प्लूरा (फेंफड़े की ऊपर की झिल्ली) मेंपड़ने वाले पीव से भी लोग परिचित थे और पर्शुकान्तर जगह में छेद करके पीवको निकाल दिया जाता था.8. एस्बेस्टॉसिस प्रभावित लोगों की तुलना में 50% लोग में पार्श्विका प्लूरा (फेफड़ों और छाती की दीवार के बीच ka स्थान) में चकता विकसित होती है. 9. सर्वाइकल प्लूरा ' डायाफ्राम को ढकने वाले भाग को ‘ डायाफ्रैग्मैटिक प्लूरा ' तथा मीडियास्टाइनम को ढकने वाले भाग को ‘ मीडियास्टाइनल प्लूरा ' कहा जाता है। 10. सर्वाइकल प्लूरा ' डायाफ्राम को ढकने वाले भाग को ‘ डायाफ्रैग्मैटिक प्लूरा ' तथा मीडियास्टाइनम को ढकने वाले भाग को ‘ मीडियास्टाइनल प्लूरा ' कहा जाता है।