1. उस बलिपशु को देख आज जिसका, तु हे नर! 2. उस बलिपशु को देख आज जिसका तू, रे नर! 3. हम बलिपशु का भाग्य लिए हैं, वे खांडा जल्लादों का। 4. उस बलिपशु को देख आज जिसका तू, रे नर! 5. दुर्लभ जाति के आदमी को बलिपशु की भूमिका अदा करनी पड़ती है। 6. हाँ हव्वा भी है सजाया सँवारा बलिपशु ही जिसे देख खिल जाती है बांछे गाहे-बगाहे पुरुष की। 7. जब बलिपशु पात्र ऐसी भयावह अस्तित्वपरक स्थितियों से होकर गुजरता है तो उसकी कल्पना धार्मिकता का स्पर्श करती है। 8. जब बलिपशु पात्र ऐसी भयावह अस्तित्वपरक स्थितियों से होकर गुजरता है तो उसकी कल्पना धार्मिकता का स्पर्श करती है। 9. इसी प्रकार बलिपशु की हड्डी के प्रति आदर भावना या जीवित पशुविशेष का आदरसूचक नामकरण पशुपूजा से भिन्न दृष्टिकोण के परिणाम हैं। 10. इसी प्रकार बलिपशु की हड्डी के प्रति आदर भावना या जीवित पशुविशेष का आदरसूचक नामकरण पशुपूजा से भिन्न दृष्टिकोण के परिणाम हैं।