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युक्तिदीपिका sentence in Hindi

pronunciation: [ yuketidipikaa ]
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  • सांख्य साहित्य में युक्तिदीपिका अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है।
  • इस पर माठरवृत्ति, गौड़पाद भाष्य, युक्तिदीपिका आदि अनेक टीकायें हैं।
  • युक्तिदीपिका में समस्त कारिकाओं को चार प्रकरणों में विभक्त किया गया है।
  • सांख्य के प्राचीन आचार्यों के विभिन्न मतों का संकेत युक्तिदीपिका में उपलब्ध है।
  • 22 वीं कारिका की युक्तिदीपिका में विन्ध्यवासी का मत इस प्रकार रखा गया है।
  • युक्तिदीपिका में अधिकांश कारिकाओं को सूत्र रूप में विच्छेद करके उनकी अलग-अलग व्याख्या की गई है।
  • इसी तरह विन्ध्यवासी, पौरिक, पंचाधिकरण इत्यादि प्राचीन आचार्यों के मत भी युक्तिदीपिका में हैं।
  • युक्तिदीपिका में सांख्य के विभिन्न आचार्यों के मतों के साथ-साथ आलोचनाओं का समाधान भी प्रस्तुत किया है।
  • वार्षगण्य-जिनकी कोई कृति आज उपलब्ध नहीं है, के मत का सर्वाधिक परिचय युक्तिदीपिका में ही उपलब्ध है।
  • युक्तिदीपिका भी सांख्यकारिका की एक प्राचीन व्याख्या है तथा अन्य व्याख्याओं की तुलना में अधिक विस्तृत भी है।
  • यदि युक्तिदीपिका की रचना शंकराचार्य के बाद हुई होती तो शंकर कृत सांख्य खण्डन पर युक्तिदीपिकाकार के विचार होते।
  • युक्तिदीपिका में उपलब्ध सभी उद्धरणों के मूल का पता लगने पर संभव है रचनाकाल के बारे में और अधिक सही अनुमान लगाया जा सके।
  • साथ ही युक्तिदीपिका का अन्य प्रचलित नाम राजवार्तिक भी रहा होगा * * सुरेन्द्रनाथदास गुप्त भी राजा कृत कारिकाटीका को राजवार्तिक स्वीकार करते हैं जिसका उद्धरण वाचस्पति मिश्र ने दिया है * ।
  • आचार्य उदयवीर शास्त्री ने जयन्तभट्ट की न्यायमंजरी में ' यत्तु राजा व्याख्यातवान्-प्रतिराभिमुख्ये वर्तते ' तथा युक्तिदीपिका में ' प्रतिना तु अभिमुख्यं '-के साम्य तथा वाचस्पति मिश्र द्वारा ' तथा च राजवार्तिकं ' (72 वीं कारिका पर तत्त्वकौमुदी) कहकर युक्तिदीपिका के आरंभ में दिए श्लोकों में से 10-12 श्लोकों को उद्धृत करते देख युक्तिदीपिकाकार का नाम ' राजा ' संभावित माना है।
  • आचार्य उदयवीर शास्त्री ने जयन्तभट्ट की न्यायमंजरी में ' यत्तु राजा व्याख्यातवान्-प्रतिराभिमुख्ये वर्तते ' तथा युक्तिदीपिका में ' प्रतिना तु अभिमुख्यं '-के साम्य तथा वाचस्पति मिश्र द्वारा ' तथा च राजवार्तिकं ' (72 वीं कारिका पर तत्त्वकौमुदी) कहकर युक्तिदीपिका के आरंभ में दिए श्लोकों में से 10-12 श्लोकों को उद्धृत करते देख युक्तिदीपिकाकार का नाम ' राजा ' संभावित माना है।
  • ' महत: षाड्विशेषा: सृज्यन्ते तन्मात्राण्यहंकारश्चेति विंध्यवासिमतम् ' पंचाधिकरण इन्द्रियों को भौतिक मानते हैं-' भौतिकानीन्द्रियाणीति पंचाधिकरणमतम् ' (22 वीं कारिका पर युक्तिदीपिका) संभवत: वार्षगण्य ही ऐसे सांख्याचार्य हैं जो मानते हैं कि प्रधानप्रवृत्तिरप्रत्ययापुरुषेणाऽपरिगृह्यमाणाऽदिसर्गे वर्तन्ते * ' साथ ही वार्षगण्य के मत में एकादशकरण मान्य है जबकि प्राय: सांख्य परम्परा त्रयोदशकरण को मानती है युक्तिदीपिका के उक्त उल्लेखों से यह स्पष्ट हो जाता है कि उस समय तक सांख्यदर्शन में अनेक मत प्रचलित हो चुके थे।
  • ' महत: षाड्विशेषा: सृज्यन्ते तन्मात्राण्यहंकारश्चेति विंध्यवासिमतम् ' पंचाधिकरण इन्द्रियों को भौतिक मानते हैं-' भौतिकानीन्द्रियाणीति पंचाधिकरणमतम् ' (22 वीं कारिका पर युक्तिदीपिका) संभवत: वार्षगण्य ही ऐसे सांख्याचार्य हैं जो मानते हैं कि प्रधानप्रवृत्तिरप्रत्ययापुरुषेणाऽपरिगृह्यमाणाऽदिसर्गे वर्तन्ते * ' साथ ही वार्षगण्य के मत में एकादशकरण मान्य है जबकि प्राय: सांख्य परम्परा त्रयोदशकरण को मानती है युक्तिदीपिका के उक्त उल्लेखों से यह स्पष्ट हो जाता है कि उस समय तक सांख्यदर्शन में अनेक मत प्रचलित हो चुके थे।

yuketidipikaa sentences in Hindi. What are the example sentences for युक्तिदीपिका? युक्तिदीपिका English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.