1. कि इसके स्थान पर राज्यवाद की स्थापना हो गई है। 2. राष्ट्रवाद और राज्यवाद और रामराज्य सब कालबाह्य हो गए हैं। 3. राज्यवाद के हित सींचोगे तो दुष्चक्र खत्म कैसे होगा?4. प्रेमचंद के लेख: ' राज्यवाद और साम्राज्यवाद ' पर टिप्पणी 5. जब हम समाजवाद की स्थापना करने निकले तो हमने पाया कि इसके स्थान पर राज्यवाद की स्थापना हो गई है। 6. जब हम समाजवाद की स्थापना करने निकले तो हमने पाया कि इसके स्थान पर राज्यवाद की स्थापना हो गई है। 7. एक बात जो मैं कहना चाहता हूँ, वह यह कि ज़्यादातर राज्य में राज्यवाद देखा जो बिहार में कभी नहीं लगा. 8. और वंही इस बात की तकलीफ भी होती है के क्षेत्रवाद राज्यवाद जातिवाद के चलते कई काबिल लोगो को हारना पड़ता है । 9. इससे पहले समाजवाद, लोकलुभावनवाद, धर्म, प्रबुद्ध संयम1, परजीवीवाद और लोक कल्याणकारी राज्यवाद के मिश्रण ने मूल अधिकारों के मुद्दे को दरकिनार कर दिया। 10. जे. पी. का कहना था कि अभी तक दुनिया में जो क्रान्तियां हुई हैं उनका प्रकट स्वरूप राज्यवाद का ही रहा है।