1. यह मिसाल दिखाती है कि अमूर्त, व्यवहित चिंतन कैसे काम करता है: 2. इस सन्नकिर्ष से योगी भूत, भविष्यत व्यवहित एवं दूरस्थ आदि विषयों का अलौकिक प्रत्यक्ष कर लेते हैं। 3. ब्रह्मनाम का दूसरा कोई पदार्थ व्यवहित दूर प्रदेश में आत्मा से अतिरिक्त है, ऐसी भ्रान्ति नहीं करनी चाहिए। 4. नृत्य एक ऐसी मानस-धारणा है, जो व्यक्ति जना-तीत है और जीवन और मृत्यु से व्यवहित होकर भी शेष प्रकृतिसे पलती है. 5. समय के आयाम में इनका फैलाव अधिक होता है. इसके अलावा स्वरऔर व्यंजन एक दूसरे से व्यवहित होते हैं किंतु अक्षर व्यवहित नहीं होते. 6. समय के आयाम में इनका फैलाव अधिक होता है. इसके अलावा स्वरऔर व्यंजन एक दूसरे से व्यवहित होते हैं किंतु अक्षर व्यवहित नहीं होते. 7. दृक् शक्ति द्वारा सब वस्तुओं और विषयों का ज्ञान हो जाता है, चाहे वे सूक्ष्म से सूक्ष्म, दूर से दूर, व्यवहित से व्यवहित हों । 8. दृक् शक्ति द्वारा सब वस्तुओं और विषयों का ज्ञान हो जाता है, चाहे वे सूक्ष्म से सूक्ष्म, दूर से दूर, व्यवहित से व्यवहित हों । 9. बात यह है कि बच्चों का बिंबात्मक चिंतन अभी व्यवहित नहीं होता और पूर्णतः उनके प्रत्यक्ष (perception) द्वारा नियंत्रित किया जाता है । 10. वैज्ञानिकों ने अमूर्त व्यवहित चिंतन के ज़रिए ही सिद्ध किया है कि ऐसे अदृश्य मूलकणों का वास्तव में अस्तित्व है और उनके अपने निश्चित गुणधर्म हैं।