1. श्लेषक कला (synovial membrane)2. क्लेदक, अवलम्बक, बोधक, तर्पक और श्लेषक कफ़ ।। 3. इस रोग में संधियों में स्थित श्लेषक कफ सैनोवियल फ्लुईड कम हो जाता है। 4. ५. श्लेषक कफ़-इसका स्थान मुख्य रूप से संधियों में बताया गया है ।। 5. श्लेषक झिल्ली की प्रदाह के बाद परिवर्तनों का एक सिलसिला इस रोग का मूल लक्षण होता है।6. श्लेषक कफ़ संधियों के आवश्यक स्नेहांश की पूर्ति करता है और उनके सुचारु रूप से संचालन में सहायक होता है ।।7. श्लेषक कला (Synovial membrane)-यह एक तन्तुमय कला (झिल्ली) है, जो चपटी एपीथीलियमी कोशिकाओं से ढकी रहती है।8. श्लेषक कफ का क्षय होने पर तज्जनित विकृति कारक परिणाम उत्पन्न होते हैं और उसकी पूर्ति हो जाने पर वहाँ विकृति दूर हो जाती है ।।9. झिल्ली मोटी हो जाती है और श्लेषक स्राव एकत्रित होने लगता है जिसके कारण बनने वाले दबाव से दर्द होता है और स्पर्श कातरता बनती है। 10. श्लेषक कला से साफ, लसलसा, तैलीय श्लेषक द्रव (synovial fluid) पैदा होता है, जो सन्धियों (जोड़ों) को चिकना बनाकर रखता है।