इसमें संदेह नहीं कि साहित्य के समाज-भाषिक अध्ययन के क्षेत्र को डॉ. कविता वाचक्नवी की इस कृति ने सुनिश्चित रूप से समृद्ध किया है तथा यह पुस्तक शोधार्थियों और साहित्य रसिकों के लिए समान रूप से पठनीय और संग्रहणीय है।
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“विश्वम्भरा” के ऊपर उद्धृत उद्देश्योंकी भांति संस्था अधुनातन माध्यमों का प्रयोग अपने कार्य-विस्तार हेतु तो करेगी ही अपितु साथ ही इन माध्यमों में साहित्य व भाषा के विविध स्वरूपों की पड़ताल, प्रयोजनमूलक व समाज-भाषिक पक्षों, अनुवाद, समाजभाषिक संदर्भ में वैश्विक हिंदी/भारतीय भाषाओं की स्थिति का आकलन, विविध स्तरों व क्षेत्रों की भाषा के बदलते स्वरूप आदि को समझने-समझाने व उनके अध्ययन अध्यापन आदि से जुड़े सरोकारों पर भी बल देगी।
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“ विश्वम्भरा ” के ऊपर उद्धृत उद्देश्यों की भांति संस्था अधुनातन माध्यमों का प्रयोग अपने कार्य-विस्तार हेतु तो करेगी ही अपितु साथ ही इन माध्यमों में साहित्य व भाषा के विविध स्वरूपों की पड़ताल, प्रयोजनमूलक व समाज-भाषिक पक्षों, अनुवाद, समाजभाषिक संदर्भ में वैश्विक हिंदी / भारतीय भाषाओं की स्थिति का आकलन, विविध स्तरों व क्षेत्रों की भाषा के बदलते स्वरूप आदि को समझने-समझाने व उनके अध्ययन अध्यापन आदि से जुड़े सरोकारों पर भी बल देगी।
What is the meaning of समाज-भाषिक in English and how to say samaj-bhasik in English? समाज-भाषिक English meaning, translation, pronunciation, synonyms and example sentences are provided by Hindlish.com.