1. साधना में प्रगति के साध कुंडलिनी सुषम्ना नाड़ी में अवश्य चढ़ती है। 2. साधना में प्रगति के साध कुंडलिनी सुषम्ना नाड़ी में अवश्य चढ़ती है। 3. साधना में प्रगति के साध कुंडलिनी सुषम्ना नाड़ी में अवश्य चढ़ती है। 4. इस कमल में प्रधान नाड़ियां इडा, पिंगला और इसके मध्य सुषम्ना हैं। 5. सुषम्ना नाड़ी, जो कि श्वास मार्ग है, अनुचित आधात से जर्जर हो जाती है।6. सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः दोनों ओर से श्वास निकले वह सुषम्ना स्वर कहलाएगा। 7. सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः जब हमारे दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। 8. सुषुम्ना मध्य में स्थित है, अतः जब हमारे दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। 9. योग अभ्यास से सुप्त कुंडलिनी को जाग्रत कर इसे सुषम्ना में स्थित चक्रों का भेदन कराते हुए सहस्रार तक ले जाया जाता है। 10. कुंडलिनी योग के अभ्यास से सुप्त कुंडलिनी को जाग्रत कर इसे सुषम्ना में स्थित चक्रों का भेंदन कराते हुए सहस्रार तक ले जाया जाता है।